हमें परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने माता-पिता की गोद में हमें डाला | माता-पिता को सदैव सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें यह दुनिया दिखाई, जीवन में कुछ कर गुजरने का मौका दिया | माता-पिता कभी अपने मुख से अपनी संतान को बदुआ नहीं देते लेकिन यदि उनकी अंतरात्मा पीड़ित हुई तो उनके अंतःकरण में जो दुःख और पीड़ा होती है वही माता-पिता की उपेक्षा करने वाले नालायक बच्चों को बदुआ से ज्यादा उनके जीवन में दुःख दाई सिद्ध होती है | एक मात-पिता अपना पूरा जीवन अपने बच्चों को पालने-पोषने और उन्हें अपने क़दमों पर खड़ा करने में लगा देते हैं | बच्चे बड़े होकर माता-पिता के त्याग और तपस्या को भुलाकर स्वयं की मेहनत और लगन को सर्वोपरि बताकर दुनिया को यह दिखाते हैं कि जो कुछ उन्होंने हांसिल किया है वह उनकी मेहनत और लगन का फल है इतना ही नहीं इसी गर्वपूर्ण विचार के चलते बच्चे अपनी अलग दुनिया में मस्त होकर बूढ़े हो चले माता-पिता की उपेक्षा करने लगते हैं शायद उन्हें इसका भान ही नहीं हो पाता कि यह उचित नहीं है |