सत्कर्म की प्रवृत्ति का अनुसरण: मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का आधार - आत्मा के अमरत्व के संदर्भ में एक मौलिक अध्ययन
मेधावी शुक्ला
प्रस्तुत शोध आलेख में मानवीय प्रवृत्तियों के उन पक्षों की विवेचना करने का प्रयास किया गया है जिससे मानवता के उच्च शिखर पर पहुँचने का व्यावहारिक स्वरुप, प्रामाणिकता से मुखरित किया जा सके । मनुष्य जीवन की प्राप्ति होना व्यक्ति के लिए एकांगी स्थिति का प्रतीक नहीं, लेकिन इस बहुमूल्य जीवन का सर्वांगीण विकास करने की इच्छा शक्ति में जीवन - दर्शन, जीवन - उत्साह एवं जीवन - लक्ष्य का समायोजन बहुआयामी चिन्तन का विराट स्वरुप है । स्वयं को धरती पर विचरण करने की मंसा से उपर उठकर निजी जीवन की मनोवृत्ति से श्रेष्ठ कर्म करने की आत्मिक स्थिति, व्यक्ति को सत्कर्म की प्रवृत्ति का अनुसरण करने के लिए अभिप्रेरित करती है । इस विषय की मौलिकता का स्तर उस समय बढ़ जाता है जब आत्मा के अजर, अमर एवं अविनाशी स्वरुप की अनुभूति पूर्णतया अमरत्व के सन्दर्भ में होती है और जीवन की गतिशीलता जो आत्मा के लिए नित्य, सत्य एवं प्रकाशवान है अर्थात् गुण, शक्ति और जीवन मूल्य की प्राप्ति हेतु पुरुषार्थ की व्यावहारिकता में स्वयं को समर्पित कर देना है । जीवन की सहजता, सरलता एवं विनम्रता का स्वरुप, आत्म ज्ञान के व्यवहार में आने से सुनिश्चित हो जाता है जो व्यक्ति को आत्मिक उच्चता की प्राप्ति हेतु सत्कर्म की ओर अभिमुखित करता है । श्रेष्ठता की प्रवृत्ति में रूपांतरण हो जाने के पश्चात् जीवन में पवित्रता का ‘ अनुसरण होने के साथ - साथ अनुकरण भी ’ नियमित जीवन की सूक्ष्म स्थितियों में समाविष्ट हो जाता है । मनुष्य के द्वारा जीवन दर्शन के अध्यात्म को स्वीकार कर लेना इस सत्य की पुष्टि है जिसमें व्यक्तिगत जीवन में सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक संदर्भो की व्यावहारिक संकल्पना के प्रति गहरी आस्था का प्रमाण प्रस्तुत किया गया है । इस प्रकार शोध आलेख का केन्द्रीय भाव मानव जीवन के द्वारा ज्ञान एवं कर्मेन्द्रियों से अच्छा देखना, अच्छा बोलना, अच्छा सुनना, अच्छा सोचना एवं अच्छा कर्म करना है क्योंकि स्वयं के सर्वांगीण विकास हेतु सत्कर्म की प्रवृति का अनुसरण करने के अतिरिक्त शेष कोई विकल्प नहीं है । आत्मा के द्वारा ‘ श्रेष्ठ संकल्प एवं श्रेष्ठ विकल्प ’ को उसकी ऊंचाई से निर्धारित कर लिया गया है जो जीवन की व्यावहारिकता को सर्वांगीण विकास से सम्बद्ध करके स्वीकारने में अपने विश्वास को व्यक्त करते हुए आत्मा के अमरत्व को ‘आत्म स्वरुप’ की श्रेष्ठ स्थिति के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी मानते हैं ।
मेधावी शुक्ला. सत्कर्म की प्रवृत्ति का अनुसरण: मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का आधार - आत्मा के अमरत्व के संदर्भ में एक मौलिक अध्ययन. Sanskritik aur Samajik Anusandhan, Volume 1, Issue 1, 2020, Pages 38-43