कोरोना महामारी और भारतः एक अध्ययन समाजषास्त्रीय परिपेक्ष्य में
सतीष कुमार
कोरोना महामारी एक विष्वयापी महामारी है। यह महामारी चीन के वुहान शहर में दिसम्बर 2019 में पैदा होकर एक या दो महिने में ही पूरे विष्व में फैल गई है। भारत में भी यह बिमारी कुछ ही दिनों में फैल गई है। इस महामारी ने पूरे विष्व में आर्थिक व सामाजिक समस्या उत्पन कर दी है। परन्तु भारत में आर्थिक व सामाजिक समस्या विष्व के अन्य देषों की अपेक्षा अधिक है। जिसके कई कारण है परन्तु मुख्य कारणों में देष के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी का पाखण्डवादी नेत्रत्व तथा पुलिस प्रषासन का अमानवीय व्यवहार तथा मीडिया के द्वारा कोरोना को लेकर भय पैदा करना है। जिसके परिणामस्वरूप हमारे देष की जनता विषेषकर मजदूर भुख से और पुलिस की लाठियों से और पैदल यात्रा करके सडक तथा रेल की पटरियों के रास्तों से सीधा व जल्दी घर पर पहूचे से पहले ही अपनी जीवन की यात्रा समाप्त कर रहे है। कोरोना से हमारे देष के प्रधानमन्त्री के द्वारा लाॅकडाउन का निणर्य लिया गया जिससे देष में हर वर्ग के व्यक्ति को हानि हुई है। तथा कोरोना के समाज पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनो प्रकार के प्रभाव पडे है। भारतीय समाज में कोरेना से लाॅकडाउन हुआ और लाॅकडाउन से बेरोजगारी व आर्थिक मन्दी आ गई तथा बेरोजगारी व आर्थिक मन्दी से देष में वर्ग भूमिका संघर्ष की परिस्थिति पैदा हुई और वर्ग भूमिका संघर्ष से भुखमरी की परिस्थिति पैदा हुई तथा भुखमरी से मृत्यु होगी और मृत्यु से परिवार की संरचना में परिवर्तन होगा और परिवार की संरचना में परिवर्तन से समाज की संरचना में परिवर्तन तथा समाज की संरचना में परिवर्तन से समाज फिर से संतुलन करेगा जिसके परिणाम से एक नये समाज का उदय होगा । अतः कोराना महामारी से भारतीय समाज में कई परिवर्तन होगे।