लोक का रंग भारतीय जीवन में रचा बसा हुआ है। हिन्दी साहित्य में साहित्यकारों ने लोक भाषा एवं लोक रंग को अपने साहित्य में विषेष महत्व दिया है। हिन्दी कथा साहित्य फणीष्वर नाथ रेणु एक ऐसे कथाकार हैं, जिन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से अंचल के यथार्थ को समग्रता में प्रस्तुत किया है। एक आंचलिक कथाकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले रेणु की कहानियों को लोकरंग का आख्यान कहा जा सकता है। बोली-बानी एवं लोक की जीवन्तता और सजीव चित्रण आपके साहित्य को विषिष्ट बनाती है। लोक जीवन को समग्र रूप में प्रस्तुत कर आपने उस परम्परा का सूत्रपात किया, जिसे आंचलिक कथा परम्परा कहा जाता है।