ज्ञान का अन्तिम लक्ष्य चरित्र का निर्माण करना है। मनुष्य का जीवन संस्कार से ही परिशुद्ध होता है। संस्कार के द्वारा उसका भौतिक और आध्यात्मिक जीवन निखर उठता है। वर्तमान समय में संस्कारों, जीवनादर्शों एवं प्रतिमानों को गिरावट से बचाने की महती आवश्यकता है। प्रस्तुत शोध-पत्र का प्रतिपाद्य है, आध्यात्म रामायण में संस्कार, इसका हमारे जीवन में क्या प्रयोजन है और हमारे जीवन में संस्कार कितने आवश्यक हैं, मनुष्य जीवन भर संस्कारों का संचय करता है। इन संस्कारों की चर्चा वेदों में विस्तार से की गई है, इनका उल्लेख स्मृतियों में भी हुआ है। प्रस्तुत शोध-पत्र में इसी पर विचार किया गया है।