समकालीन कविता अपनी निरंतरता से गतिशील है। समकालीन परिदृश्य में रचना की अनेक सरणियों का विकास हुआ। समकालीन कविता का कैनवास बहुत ही विशाल है। उसमें जीवन के बहुमुखी अनुभव-खण्ड पिरोये गए है। विशाल अनुभव फलक होने के कारण कविताओ के क्षितिंज बहुत दूर-दूर तक फैले हुए है। समकालीन कविता के सकारात्मक पक्षों ने मनुष्य संवेदना की रक्षा का काम किया है। कविता हमारे प्रश्नों का समाधान नहीं करती। वह हमारी चेतना में प्रश्न-दर-प्रश्न पैदा कर रही है। हमारा समकालीन कवि इन्हीं चुनौतियों से जूझ रहा है एवं उसका सही सबक देने केलिए प्रण लेकर प्रस्तुत है।