हरिवंशराय बच्चन की डायरी एवं आत्मकथा में आत्माभिव्यक्ति
मंजू शुक्ला
सम्भवतः कला का ध्येय मनुष्य को विनम्र बनाना है। वह ज्ञान के अगम अपार भण्डार से भावना की भित्ति पर ऐसे रंग प्रकट करता ह, जो मानवीय संदर्भों में दुनियॉ के शिष्टाचार को वाणी दे।बच्चन युग परिवेश जनित आन्दोलनोंसे साहित्यकार बनते हैंइसलिए उनका लेखन आत्मगत निजता से दूर नहीं रहता।बच्चन लोक समाज,जनजीवन से गहरे संबंध स्थापित करते हुए आत्मवादी रचनाकार बने रहे हैं।