डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महान देशभक्त, शिक्षाविद्, सांसद, राजनेता, मानवतावादी और सबसे बढ़कर, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रचारक थे। उन्होंने भारत के नवनिर्माण और पुनिर्माण के लिए संघर्ष किया। उनको लगा कि भारत का पुनर्निर्माण भारतीय मर्यादा और संस्कृति पर आधारित होकर ही संभव हो पाएगा। आने वाले वर्षों में आजाद भारत की नीति, लोकनीति, राष्ट्रीय नीति को संस्कृति के आधार पर ही निर्धारित करना पड़ेगा। इसलिए उस सोच से प्रभावित होकर उन्होंने भारतीय जनसंघ का गठन किया। उन्होंने आजाद भारत के प्रथम केन्द्रीय उद्योग आपूर्ति मंत्री के नाते आजाद भारत में औद्योगिक नींव रखी। उनके व्यक्तित्व का हर पक्ष असाधारण और अद्भुत है। इस दिशा में उन्होंने भारतीयकरण का प्रयोग किया। सिंचाई, स्टील प्रोडक्शन, फ़र्टिलाइज़र प्रोडक्शन, एमएसएमई, कॉटेज इंडस्ट्रीज, खादी, हर जगह हर डायमेंशन में उन्होंने अपना अवदान रखा। कॉटेज एम्पोरियम के उद्योग की शुरूआत उन्होंने ही की थी। खादी की बात करें तो विलेज इंडस्ट्रीज बोर्ड, उन्होंने शुरू किया। प्रतिरक्षा उद्योग के भारतीयकरण की बात अगर करते हैं तो इसकी नींव भी डॉ. मुखर्जी ने ही रखी थी। सिंचाई, एमएसएमई जैसे उपादानों को खड़ा कर उन्होंने भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का प्रयास किया था।